कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi)
कामदा एकादशी 2023 मुहूर्त (Kamada Ekadashi 2023 Muhurat)
चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि शुरू – 1 अप्रैल 2023, प्रात: 01.58
चैत्र शुक्ल एकादशी तिथि समाप्त – 2 अप्रैल 2023, सुबह 04.19
कामदा एकादशी व्रत विधि
• एकादशी के व्रत की शुरुआत सूर्य देवता को प्रणाम करने से होती है।
• व्रत के दिन सुबह-सुबह जल्दी उठकरें खान करने के पश्चात स्वच्छ वस्त्रों को धारण किया जाता है।
• वस्त्र धारण करने के पश्चात गंगाजल छिड़क कर पूजा स्थल को पवित्र किया जाता है।
• इसके बाद एक लकड़ी की चौकी लेकर उसपर पीला कपड़ा बिछाया जाता है।
• उस चौकी पर भगवान विष्णु की मूर्ति लेकर उन्हें स्थापित किया जाता है।
• इसके बाद हाथ में जल लेकर भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लिया जाता है।
• इसके बाद भगवान की मूर्ति के सामने हाथों को जोड़कर भगवान को प्रणाम किया जाता है और उन्हें हल्दी, अक्षत, चंदन तथा फल-फूल बढ़ाए
जाते हैं।
• फिर भगवान की मूर्ति को रोली से टिका करके पंचामृत अर्पित किया जाता है।
• भगवान विष्णु को तलसी बहुत प्रिय है इसलिए उन्हें तुलसी के पते भी चढ़ाएफजाते।
इसके बाद एकादशी के कथा की पाठ की जाती है और प्रभु को भोग अर्पित किया जाता है।
• ऐसा माना जाता है कि भगवान तुलसी के बिना भोग को ग्रहण नहीं करते हैं इसलिए श्रीहरि को भोग लगाते समय तुलसी का पत्ता जरूर चढ़ाए।
• भोग लगाने के थोड़ी देर पश्चात भगवान को प्रणाम करके भोगें दिया जाता है।
शाम की पूजा के बाद तुलसी जी के आगे घी का दीपक अवश्य ही जलाया जाता है ताकि इससे तुलसी जी को प्रसन्न किया जा सके। ऐसी
मान्यता है कि तुलसी जी के प्रसन्न होने पर भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं।
• इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराया जाता है और उन्हें दान-दक्षिणा देने के पश्चात भोजन ग्रहण किया जाता है।
पूजा के समय विष्णु मंत्र का जाप करें
- ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय नम:
- ऊँ नमो नारायणाय नम:
- ऊँ विष्णवे नम:
- ऊॅ नारायणाय विझ्हे, वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णु प्रचोदयात
- श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारे, हे नाथ नारायण वासुदेवाय
कामदा एकादशी व्रत कथा
एक बार महाराज युधिष्ठिर ने श्री कृष्ण भगवान से पूछा कि चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी का क्या नाम है? चैत्र शुक्ल पक्ष की एकादशी का नाम कामदा एकादशी है।
यह एकादशी सभी प्रकार के पापों को नष्ट करके मोक्ष प्रदान करने वाली है। प्राचीन समय में नाग लोक में भोगीपुर नाम का एक सुंदर नगर था जहाँ सोने के महल बने हुए थे।
उस नगर में महा भयंकर नाग निवास करते थे। पुंडरीक नाम का नाग उन दिनों वहां राज्य करता था। अप्सराएं, गंधर्व और किन्नर सभी उस नगर में निवास करते थे। एक श्रेष्ठ अप्सरा ललिता अपने पति तलित नाम के गंधर्व के साथ उसी नगर में रहती थी उनके घर में धन, ऐश्वर्य और वैभव की कोई कमी नहीं थी वह दोनों एक दूसरे से प्रेम करते थे।
एक दिन ललित राजा पुंडरीक की सभा में नृत्य और गायन प्रस्तुत पर रहा था परंतु उसके साथ उसकी प्रिय पत्नी ललिता नहीं थी।
नाचते और गाते हुए उसे अपनी पत्नी की याद आ गई और उसके पैरों की गति धीमी हो गई। उसकी जीभ लड़खड़ाने लगी।
तब ही पुंडरीक के दरबार में कर्कोटक नाम का एक नाग देवता मौजूद थे। ललित को गाने का आदेश देकर राजा पुंडरीक कर्कोटक नाग देवता के साथ आनंद ले रहे थे।
संतान की कामना के लिए करें कामदा एकादशी व्रत
यदि किसी परिवार में कोई संतान नहीं है तो पती व पत्नी को भगवान विष्णु जी (कृष्णजी) को प्रसन्न करना चाहिए। प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा-अर्चना पूजा में पीले रंग के पुष्प व पीले रंग के वस्त्र अर्पण करें।
दोनो एक साथ संतान गोपाल मंत्र का जाप करे और भगवान जी से संतान प्राप्ति की प्रार्थना करें।
कामदा एकादशी का महत्व
कामदा एकादशी बाकी दूसरे एकादशी से ज्यादा महत्व रखती है, कहा जाता है कि इस दिन हर मंगलमय कार्य पूर्ण होता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार सुहागन स्त्रियां यदि कामदा एकादशी का व्रत रखती हैं तो वह अखंड सौभाग्यवती रहती हैं।
कामदा व्रत रखने वाले व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और घर में सुख शांति बनी रहती ।
मान्यता यह भी है कि इस व्रत को यदि विधि पूर्वक किया जाए तो सारे पाप नष्ट हो जाते हैं और राक्षस जैसी योनि से मुक्ति मिल जाती है।
यह भी कहा जाता है कि कामदा एकादशी के बराबर कोई दूसरा व्रत नहीं है और इसकी कथा पढ़ने या सुनने से लाभ पहुंचता है।
1. कामदा एकादशी का व्रत कब किया जाता है
प्रतिवर्ष चैत्र मास की शुक्लपक्ष की एकादशी को ।
2. Kamada Ekadashi Vrat Ka क्या महत्व है
व्यक्ति के पापों से मुक्ति मिलकर प्रेत योनि से छुटकारा मिलता है ।