गुप्त नवरात्रि कथा | Gupt Navratri Puja Vidhi

गुप्त नवरात्रि पूजा विधि

गुप्त नवरात्रि के दौरान साधना और विधाओं की पूजा को विशेष माना गया है।

नवरात्रि में तंत्र साधना की जाती है और गोपनीय तरीके से सब से छुपा कर पूजा की जाती है।

गुप्त नवरात्रि में 9 दिन के लिए कलश स्थापना की जाती है।

इस दौरान दोनों समय मंत्र जाप, दुर्गा चालीसा या सप्तशती का पाठ करें।

सुबह शाम आरती करना शुभ माना जाता है।

मां दुर्गा को दोनों समय लौंग और बताशा का भोग लगा सकते हैं।

पूजा में मां दुर्गा को लाल फूल अवश्य अर्पित करें। साथ ही ध्यान रखें इस दौरान आक, मदार, दूब और तुलसी बिल्कुल भी ना चढ़ाएं पूरे 9 दिन अपना खानपान सात्विक रखें।

गुप्त नवरात्रि कथा

गुप्त नवरात्रि से जुड़ी प्रामाणिक एवं प्राचीन कथा यह है। इस कथा के अनुसार एक समय ऋषि श्रृंगी भक्तजनों को दर्शन दे रहे थे।

अचानक भीड़ से एक स्त्री निकलकर आई और करबद्ध होकर ऋषि श्रृंगी से बोली कि मेरे पति दुर्व्यसनों से सदा घिरे रहते हैं जिस वजह चे मैं कोई पूजा-पाठ नहीं कर पाती।

धर्म और भक्ति से जुड़े पवित्र कार्यों का संपादन भी नहीं कर पाती। यहां तक कि ऋषियों को उनके हिस्से का अन्न भी समर्पित नहीं कर पाती। मेरा पति मांसाहारी हैं, जुआरी है, लेकिन मैं मां दुर्गा की सेवा करना चाहती हूं, मां दुर्गा की भक्ति-साधना से अपने और परिवार के जीवन को सफल बनाना चाहती हूं।

ऋषि श्रृंगी महिला के भक्तिभाव से बहुत प्रभावित हुए। ऋषि ने उस स्त्री को आदरपूर्वक उपाय बताते हुए कहा कि वासंतिक और शारदीय नवरात्रों से तो आम जनमानस परिचित है, लेकिन इसके अतिरिक्त 2 नवरात्र और भी होते हैं जिन्हें ‘गुप्त नवरात्रि’ की जाती है।

उन्होंने कहा कि प्रकट नवरात्रों में 9 देवियों की उपासना होती है और गुप्त नवरात्रों में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है। इन नवरात्रों की प्रमुख देवी स्वरूप का नाम सर्वैश्वर्यकारिणी देवी है।

यदि इन गुप्त नवरात्रि में कोई भी भक्त माता दुर्गा की पूजा-साधना करता है, तो मां उसके जीवन को सफल कर देती हैं। 

ऋषि श्रृंगी ने आगे कहा कि लोभी, कामी, व्यसनी, मांसाहारी अथवा पूजा-पाठ न कर सकने वाला भी यदि गुप्त नवरात्रों में माता की पूजा करता है, तो उसे जीवन में कुछ और करने की आवश्यकता ही नहीं रहती। उस स्त्री ने ऋषि श्रृंगी के वचनों पर पूर्ण श्रद्धा करते हुए गुप्त नवरात्रि की पूजा की।

मां उस पर प्रसन्न हुईं और उस स्त्री के जीवन में परिवर्तन आने लगा। उसके घर में सुख-शांति आ गई। पति, जो गलत रास्ते पर था, सही मार्ग पर आ गया।

गुप्त नवरात्रि की माता की आराधना करने से उनका जीवन पुन: खिल उठा।

गुप्त नवरात्रि पूजा विधि के महत्व

  1. धर्म, अर्थ अर्थात् धन-सम्पत्ति, काम तथा मोक्ष की प्राप्ति के लिए।
  2. आध्यात्मिक उन्नति के लिए।
  3. आत्म-साक्षात्कार के लिए।
  4. जीवन में सम्पूर्ण उन्नति के लिए।
  5. कुण्डलिनी जागरण के लिए तथा षट्चक-भेदन के लिए।
  6. पशु भाव से वीर भाव तथा वीर भाव से दिव्य भाव की शीघ्र प्राप्ति क
  7. प्रसन्न मन एवं स्वस्थ जीवन के लिए।
  8. जीवन में सभी बाधाओं से मुक्ति के लिए।
  9. वशीकरण शक्ति जागरण के लिए।
  10. जादू-टोने एवं अभिचार कर्मों से मुक्ति के लिए।
  11. सम्पूर्ण वैभव एवं ऐश्वयं-प्राप्ति के लिए।
  12. काम-तत्व के विकास के लिए।
  13. कलातत्व के विकास एवं सफलता प्राप्ति के लिए।
  14. ज्ञानतत्व के विकास एवं ऊर्जा की सबलता के लिए।
  15. सम्पूर्ण चेतना-प्राप्ति एवं शिवत्व-प्राप्ति के लिए।
  16. ऋणमुक्ति, बीमारी तथा मुकदमे आदि से मुक्ति तथा उनमें विजय-प्राप्ति के लिए।

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