देवशयनी एकादशी व्रत कथा | Devshayani Ekadashi Vrat Katha

देवशयनी एकादशी के शुभ मुहूर्त

  • मंगलवार, 29 जून 2023
  • एकादशी तिथि प्रारंभ: 29 जून 2023 अपराह्न 03:18 बजे
  • एकादशी तिथि समाप्ति : 30 जून 2023 पूर्वाह्न 02:42 बजे

देवशयनी एकादशी व्रत कि‍ पूजा विधि: कैसे इस व्रत को करे?

  • इस व्रत को रखने वाले स्‍त्री व पुरूष को प्रात:काल जल्‍दी उठकर स्‍नान आदि से मुक्‍त होकर साफ वस्‍त्र धारण करने चाहिए।
  • उसके बाद भगवान सूर्य नारायण को जल का अर्घ्‍य देकर इस व्रत का संकल्‍प करना चाहिए। जिसके बाद पीपल व तुलसी के वृक्ष में भी पानी अवश्‍य चढ़ाना चाएिह।
  • उसके बाद अपने पूरे घर में गंगा जल का छिडकाऊ करें और एक चौकी पर लाल वस्‍त्र बिछाकर भगवान विष्‍णु जी की प्रतिमा की स्‍थापना करें।
  • जिसके बाद भगवान विष्‍णु जी की पूजा- फल, फूल, चंदन, अक्षत, पंचामृत, धूप, दीप, नैवेद्य, तुलसी, नारियल, सुपारी आदि से करें।
  • पूजा करने के बाद देवशयनी एकादशी व्रत की कथा सुनकर आरती करें।
  • उसके बाद भगवान विष्‍णु जी को प्रसाद चढ़ाऐ
  • रात्रि के समय भगवान विष्‍णु जी को शयन अवश्‍य कराऐं क्‍योंकि इस दिन भगवान विष्‍णु जी चार मास के लिए शयन करते है।
  • इस प्रकार आप देवशयनी ग्‍यारस का व्रत का पालन कर सकते है।

देवशयनी एकादशी व्रत कथा (Devshayani Ekadashi Vrat Katha)

बहुत समय पहले की बात है, सूर्यवंशी कुल में मान्धाता नाम का एक चक्रवर्ती  राजा हुआ करता था। वह बहुत ही महान, प्रतापी, उदार तथा प्रजा का ध्यान रखने वाला राजा था।

उस राजा का राज्य बहुत ही सुख – सम्रद्ध था, धन-धान्य भरपूर मात्रा में था।

वहाँ की प्रजा राजा से बहुत अधिक प्रसन्न एवं खुशहाल थी, क्यों की राजा अपनी प्रजा का बहुत ध्यान रखता था। साथ ही वह धर्मं के अनुसार सारे नियम करने वाला राजा था ।

एक समय की बात है राजा के राज्य में बहुत लम्बे समय तक वर्षा नहीं हुई जिसके फलस्वरूप उसके राज्य में अकाल पड़ गया, और जिस से की राजा अत्यंत ही दुखी हो गया, क्योंकि उसकी प्रजा बहुत दुखी थी।

राजा इस संकट से उबरना चाहता था। राजा चिंता में डूब गया और चिंतन करने लगा की उस से आखिर ऐसा कौन सा पाप हो गया है।

राजा इस संकट से मुक्ति पाने के लिए कोई उपाय खोजने के लिए सैनिको के साथ जंगल की ओर प्रस्थान करते है।

राजा वन में कई दिनों तक भटकता रहा और फिर एक दिन अचानक से वे अंगीरा ऋषि के आश्रम जा पंहुचे।

उन्हें अत्यंत व्याकुल देख कर अंगीरा ऋषि ने उनसे उनकी व्याकुलता का कारण पूछा, की राजा ने ऋषि को अपनी और अपने राज्यवासियों की परेशानी की विस्तारपूर्वक वर्णन सुनाया,और राजा ने ऋषि को बताया कि किस प्रकार उसके खुशहाल राज्य में अचानक अकाल पड़ गया।

राजा ने ऋषि से निवेदन किया की  ‘हे! ऋषि मुनि मुझे कोई ऐसा उपाय बताये जिस से की मेरे राज्य में सुख-सम्रद्धि पुन: लौट आये’. ऋषि ने राजा की परेशानी को ध्यान पूर्वक सुना और कहा कि जिस प्रकार हम सब ब्रह्म देव की उपासना करते है।

किन्तु सतयुग में वेद पढ़ने का तथा तपस्या करने का अधिकार केवल ब्राह्मणों को है, लेकिन आपके राज्य में एक शुद्र तपस्या कर रहा है।

आपके राज्य में आज अकाल की दशा उसी कारण से है. यदि आप अपने राज्य को पूर्ववत खुशहाल देखना चाहते है तो उस शुद्र की जीवनलीला समाप्त कर दीजिये।

यह सुन कर राजा को बहुत अचम्भा हुआ और राजा ने कहा कि ‘हे ऋषि मुनि में आप यह क्या कह रहे है मैं ऐसे किसी निर्दोष जीव की हत्या नहीं कर सकता, मैं एक निर्दोष की हत्या का पाप अपने सर नहीं ले सकता. मैं ऐसा अपराध नहीं कर सकता न ही ऐसे अपराधबोध के साथ जीवन भर जीवित रह सकता हूँ।

आप मुझ पर कृपा करें और मेरी समस्या के समाधान के लिए कोई अन्य उपाय बताएं’. ऋषि ने राजा को कहा कि यदि आप उस शुद्र की जीवनलीला समाप्त नहीं कर सकते है।

तो मैं आपको दूसरा उपाय बता रहा हूँ। आप आषाढ़ मास की शुक्ल एकादशी को पुरे विधि विधान एवं पूर्ण श्रद्धा- भक्ति के साथ व्रत रखे एवं पूजन आदि करें।

राजा ने ऋषि की आज्ञा का पालन करते हुए, अपने राज्य पुनः वापस आया तथा  राजा एकादशी व्रत पुरे विधि विधान से किया है।

जिसके फलस्वरूप राजा के राज्य में वर्षा हुई, जिस से अकाल दूर हो जाता है तथा पूरा राज्य पहले की तरह हंसी-ख़ुशी रहने लगता है।

ऐसा माना जाता है की एकादशी व्रत सभी व्रतों में उत्तम होता हैं एवं इसकी कथा सुनने या सुनाने से भी पापों का नाश होता है।

Q 1 : देवशयनी एकादशी कब है?

देवशयनी एकादशी इस बार 29 जून 2023 को है।

Q 2 : देवशयनी एकादशी पर क्या होता है?

 देवशयनी एकादशी आने पर भगवान क्षीर सागर में जाकर शयन यानि सो जाते हैं।

Q 3 : देवशयनी एकादशी पर क्या शादी होती है?

 देवशयनी एकादशी पर शादी बिल्कुल नहीं होती है। क्योंकि उसके बाद अंधेरा पाक शुरू हो जाता है।

Q 4 : देवशयनी एकादशी किस भगवान के लिए मनाई जाती है?

विष्णु भगवान के लिए इसे मनाया जाता है।


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