वरुथिनी एकादशी व्रत कथा | Varuthini Ekadashi Vrat Katha
वरुथिनी एकादशी की व्रत कथा (Varuthini Ekadashi Vrat Katha)
एकबार भगवान श्रीकृष्ण ने वरुथिनी एकादशी व्रत कथा का महत्व धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाते हुए कहा कि प्राचीन काल में नर्मदा नदी के तट पर मान्धाता नामक राजा राज करता था।
एक बार राजा जंगल में तपस्या में लीन था तभी एक जंगली भालू आया और राजा का पैर चबाते हुए उसे घसीटकर ले जाने लगा।
तब राजा मान्धाता ने अपनी रक्षा के लिए भगवान विष्णु से प्रार्थना की।राजा की पुकार सुनकर भगवान विष्णु प्रकट हुए और अपने चक्र से भालू को मार दिया।
चूँकि राजा का पैर भालू खा चुका था इसलिए राजा अपने पैर को लेकर बहुत परेशान हो गए।
तब भगवान विष्णु अपने भक्त को दुखी देख कर बोले- ‘हे वत्स! शोक मत करो। तुम मथुरा जाओ और वरुथिनी एकादशी का व्रत रखकर मेरी वराह अवतार मूर्ति की विधि विधान से पूजा करो।
उसके प्रभाव से तुम्हारे पैर ठीक और बलशाली हो जायेंगे। राजा मान्धाता ने वैसा ही किया।
इसके प्रभाव से वह सुंदर और संपूर्ण अंगों वाला हो गया। अतः जो भी भक्त वरुथिनी एकादशी का व्रत रखकर भगवान विष्णु का ध्यान करता है तो उनके सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। तथा वह स्वर्ग लोक को प्राप्त करता है।
वरूथिनी एकादशी पूजा विधि
सर्वप्रथम एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके निवृत्त हो जाएँ। इसके बाद साफ सुथरे कपड़े धारण कर लें। अब भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
तत्पश्चात एक चौकी पर पीले रंग का कपड़ा बिछाकर भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र को स्थापित कर लें। अब आप चाहे तो पूजा घर में ही जहां चित्र रखा हो वहीं पर रखा रहने दें।
इसके बाद भगवान विष्णु को पीले रंग के पुष्प, माला चढ़ाएं। तदोपरान्त भगवान श्री हरी विष्णु जी को पीला चंदन लगाएं। तत्पश्चात भगवान को भोग लगाकर घी का दीपक और धूप जलाएं।
इसके बाद विष्णु सहस्त्रनाम पाठ के साथ एकादशी व्रत कथा का पाठ भी कर लें। अंत में भगवान विष्णु जी की विधिवत आरती करें। आरती करने के पश्चात पूरे दिन फलाहार व्रत रहने के बाद द्वादशी के दिन व्रत का पारण कर दें।
वरुथिनी एकादशी का महत्व
इस एकादशी तिथि का व्रत रखने और इस दिन श्रद्धा भाव से विष्णु पूजन करने से व्यक्ति को मोक्ष और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इस दिन का व्रत सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करता है।
ऐसा माना जाता है कि इस दिन का पूजन विशेष रूप से सभी पापों से मुक्ति दिलाता है। यदि कोई व्यक्ति इस दिन भगवान विष्णु का पूजन माता लक्ष्मी समेत करता है तो यह उसके लिए विशेष रूप से फलदायी होता है।